...

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एक अर्सा हुआ!
एक अर्सा हुआ तुम्हें सुने हुए,
यादों में तेरी जाने कितनी रातें जागी है।
बस अब इश्क नीलाम करना बाकी है,
तेरे मेरे दरमियान, अब कहा कुछ बाकी है।

मेरे एक तरफ़ा मोहब्बत की दीवार
आज भी बाकी है,
बाकी तेरी चाहत का आशियाना
अब दफ़्न करना बाकी है।
बस अब इश्क नीलाम करना बाकी है,
तेरे मेरे दरमियान, अब कहा कुछ बाकी है।

के काश आज भी तुझे मेरी याद आ जाए,
मेरे हालात हैं जो,
तेरे इश्क में तुझसे रुबरु हो जाए।
तेरी यादों का आना जाना लगा है आज भी
मेरी बर्बादीयों में
तेरी यादों का नाम लिखना बाकी है।
बस अब इश्क नीलाम करना बाकी है,
तेरे मेरे दरमियान, अब कहा कुछ बाकी है।

आखिर क्यूँ तेरा नाम लूँ?
मेरे इश्क में तुझे क्यूँ बदनाम करू?
कुछ तो मुझमें ही खामियां हैं,
तू सह ना सके,
क्यूँ इतनी मोहब्बत में तुझसे करूँ?

तेरी बातों का सिलसिला
मुझमें आज भी चलता है ।
कुछ वायदे है उनमें तेरे,
बस वादों का धोखा समझना बाकी है।
बस अब इश्क नीलाम करना बाकी है,
तेरे मेरे दरमियान अब कहा कुछ बाकी है।

तुझे देख ना पाऊँगी, किसी और की बाहों में,
मेरी बाहों में तेरा होना खुदा को कहा मंजूर है।
ये दिल होता है अक्सर उसका
जो होगा ना कभी हमारा।
ये इश्क का कैसा दस्तूर है।

रब जाने क्यूँ मुझमें साँसें बाकी है,
मुझमें हूँ ही कहा में,
ये तो जिंदा लाश बाकी है।
बस अब इश्क नीलाम करना बाकी है,
तेरे मेरे दरमियान अब कहा कुछ बाकी है।
© Khyaal_Ansune