...

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इक-दूजे के लिए
आज हम
वो सवाल
अधूरे छोड़ देते हैं....
जिनके जवाब में
सिर्फ सब्र होता है.....!!

अब हम
उन ख्वाब को थामते नहीं है...
जो धीमे धीमे सुलगता है
अब हम किनारों पे रुकते...