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जिंदगी का हसीन दौर
जब खोली आँख मैंने, खुद को पिंजरे में बंद पाया था
वो नीला गगन ही था, जो मुझे सबसे ज्यादा लुभाया था
उस चील को उड़ता देख, मेरे मन में भी उत्साह आया था
कि थी लाख कोशिश मैंने भी, पर खुद को बेबस पाया था

हाँ चाहती थी मैं भी उड़ना,पर परिस्थिति ने मोहताज बनाया था
क्या कर दिया था मैंने ऐसा, जो मेरे भाग्य ही ऐसा संकट आया था

मांगी थी एक दुआ मैंने भी, कि छु लुं उस आसमान को
था हौसला मुझमे भी , एक दिन तो...