इबादत
दिल की मस्जिद मे इबादत उसकी अब भी रोज होती है
ख्वाबो मे उसे ढूँढने की हसरत अब भी रोज होती है
शायद ही इल्म हो उसे कि मुअज्जिन है उसकी आँखे
जिनसे मेरी फजर की पहली अजान अब भी रोज होती है।।
नमाज़ मे पढ़ने को वही सूरत अब भी रोज होती है
उसकी ही मुस्कुराहट से मेरी ईद वाली...
ख्वाबो मे उसे ढूँढने की हसरत अब भी रोज होती है
शायद ही इल्म हो उसे कि मुअज्जिन है उसकी आँखे
जिनसे मेरी फजर की पहली अजान अब भी रोज होती है।।
नमाज़ मे पढ़ने को वही सूरत अब भी रोज होती है
उसकी ही मुस्कुराहट से मेरी ईद वाली...