...

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हँसते ज़ख़्म
जख्म हंसते हंसते मैने सी लिया।
जहर गम का भी खुशी से पी लिया।

अब जमाने का नही है डर मुझे।
दर्द चाहें दे कोई अगर मुझे।

मैं खुशी से उसको भी सह लूंगा अब।
मैं अकेला ही यहां रह लूंगा अब।

अपनो पर करना भरोसा छोड़ दिया।
सारे अपनो से मैंने रिश्ता तोड़ दिया।

अब मैं तन्हा खुश यहां रहने लगा।
दरिया के संग धार में बहने लगा।

जिंदगी अब अपने ढंग से जी लिया।
जख्म हंसते हंसते मैने सी लिया।
© Ank's