ठहर जाता है वक़्त
ठहर जाता है वक़्त, जब मुलाक़ात का वक़्त नज़दीक आता है
लम्हें कटते नहीं, वक़्त गुज़रता नहीं, बस कहीं ठहर सा जाता है
दूरी सही नहीं जाती है, और तुम्हारा भी कोई पैग़ाम नहीं आता है
कैसे कहूँ तुमसे, और देर का फ़ासला मुझसे सहा नहीं जाता है
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लम्हें कटते नहीं, वक़्त गुज़रता नहीं, बस कहीं ठहर सा जाता है
दूरी सही नहीं जाती है, और तुम्हारा भी कोई पैग़ाम नहीं आता है
कैसे कहूँ तुमसे, और देर का फ़ासला मुझसे सहा नहीं जाता है
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