...

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मायूस दिल...
अचानक यूं दिल में फिर से ..मायूसी घर कर आयी है
अच्छी बातें सब भूल गई
सिर्फ बुरी बातें ही याद आई है

हर अपने को करीब रखूं...
यह सोच मेरी पुरानी है
पर न जाने क्यों... वक्त सीखा रहा
यहां कुछ ना आनी जानी है .....

हर मोड़ पर बनते हैं रिश्ते...
हर मोड़ पर टूटते देखें है
कोशिश कर बचा न पायी
यह सोच आंखों में पानी है ...

दुनियां का कोई दोष नहीं...
दिल की हूं मैं कमजोर रही
मतलब की इस दुनियां में
जो अपनेपन की ठानी है....

कुछ बात नहीं भूली हूं मैं...
हर बात मुझे है याद रही
पर करुं नजर‌अदांज ये सोचकर
बस चार दिन की मेरी जिंदगानी है...
बस चार दिन.............
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