काश तू कविता होती
काश तू कविता होती,
वो सुंदर सा अनोखा अलफ़ाज़ होती।
तेरी रचनाओं में खोया होता,
तेरे लहज़े से भरमायां होता।
तेरी शब्दों की मीठी शीतलता,
मुझे अपनी तरफ़ आकर्षित करती।
जैसे तेरी बातों में एक अनजानी सी मुस्कान होती,
उसे समझने की कोशिश में उलझा रहता।
दर्द की शाम थम जाती, जब तेरी पंक्तियाँ पढ़ता,
कुछ लम्हों को ज़िंदगी...
वो सुंदर सा अनोखा अलफ़ाज़ होती।
तेरी रचनाओं में खोया होता,
तेरे लहज़े से भरमायां होता।
तेरी शब्दों की मीठी शीतलता,
मुझे अपनी तरफ़ आकर्षित करती।
जैसे तेरी बातों में एक अनजानी सी मुस्कान होती,
उसे समझने की कोशिश में उलझा रहता।
दर्द की शाम थम जाती, जब तेरी पंक्तियाँ पढ़ता,
कुछ लम्हों को ज़िंदगी...