बनारस और पंडिताइन ❤️
सुनो पंडिताइन,
शर्दी के मौसम की भोर हो और सूरज निकलने में थोड़ा समय बाकी हो, घना कोहरा छाया हो, बनारस के अस्सी घाट पे हम तुम साथ बैठे हो एकदम शांत वातावरण बिल्कुल शून्य सा, गंगा नदी के बहने की कल कल आवाज आती हो, पास के मंदिर की घंटियों की आवाज आती हो, शांत से नभ में पंछियों के चहचाहने का शोर...
शर्दी के मौसम की भोर हो और सूरज निकलने में थोड़ा समय बाकी हो, घना कोहरा छाया हो, बनारस के अस्सी घाट पे हम तुम साथ बैठे हो एकदम शांत वातावरण बिल्कुल शून्य सा, गंगा नदी के बहने की कल कल आवाज आती हो, पास के मंदिर की घंटियों की आवाज आती हो, शांत से नभ में पंछियों के चहचाहने का शोर...