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मत पूछो.......
मत पूछों कि
क्या है हाल ........
मरहम बहुत कम है
चोट हज़ार है.........
जूझना है इस जग में अकेला
कहाँ किसी का साथ है
पूछो मत तुम हाल हमारे
परिंदा एक और....... जाल हज़ार है.....
क्या बताऊँ मैं मेरा हाल
तय नहीं कुछ कर पाया हूँ
लिखूं क्या और क्या बतलाऊ...
उत्तर एक और सवाल हज़ार है.........
समझोगे जब दर्द को मेरे
कभी ना तूम ये दोहराओगे,
क्या हाल तुम्हारा ऐसा
प्रश्न ना तुम कर पाओगे.......
© सौरभ" शिवम"
क्या है हाल ........
मरहम बहुत कम है
चोट हज़ार है.........
जूझना है इस जग में अकेला
कहाँ किसी का साथ है
पूछो मत तुम हाल हमारे
परिंदा एक और....... जाल हज़ार है.....
क्या बताऊँ मैं मेरा हाल
तय नहीं कुछ कर पाया हूँ
लिखूं क्या और क्या बतलाऊ...
उत्तर एक और सवाल हज़ार है.........
समझोगे जब दर्द को मेरे
कभी ना तूम ये दोहराओगे,
क्या हाल तुम्हारा ऐसा
प्रश्न ना तुम कर पाओगे.......
© सौरभ" शिवम"
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