मोहब्बत मेरी तुम्हारी ....❤️
बिन सोचे उंगली उठाते हो , तुम मुझे जानते कहां हो ,
जितना मानती हूं मैं तुम्हें , तुम उतना मानते कहां हो ।
तुम्हें खबर चाहिए हर पल की, मैं यादों में खोई रहती हूं,
तुम्हें भरोसा शब्दों पर, मैं एहसासों में यकीन रखती हूं।
मुझे विश्वास तुम पर है,और तुम सवाल उठाया करते हो,
शक की मुझपे नजरें रखकर मेरा ख्याल बताया करते हो।
ख्याल मुझे भी तुम्हारा होता है,मैं महसूस कराना चाहती हूं,
तुम फासले मिटाते हो, मैं दूर से ख्वाबों में आना चाहती हूं।
मैं खामोशियां पढ़ना चाहती हूं,तुम हर बात बोलते फिरते हो,
मेरी भावनाएं असीम है और तुम जज़्बात तौलते फिरते हो।
मुझे आंखों में देखना पसंद है ,तुम लबों की बात मानते हो,
मुझे ख्वाबों में रहना पसंद है,तुम केवल मुलाकात जानते हो,
तुममें धीरज का अंश मात्र नहीं, मैं इंतजार तुम्हारा करती हूं,
तुम रूप के कायल बनते हो , मैं रूह पर तुम्हारी मरती हूं।
~पल्लवी
© All Rights Reserved
जितना मानती हूं मैं तुम्हें , तुम उतना मानते कहां हो ।
तुम्हें खबर चाहिए हर पल की, मैं यादों में खोई रहती हूं,
तुम्हें भरोसा शब्दों पर, मैं एहसासों में यकीन रखती हूं।
मुझे विश्वास तुम पर है,और तुम सवाल उठाया करते हो,
शक की मुझपे नजरें रखकर मेरा ख्याल बताया करते हो।
ख्याल मुझे भी तुम्हारा होता है,मैं महसूस कराना चाहती हूं,
तुम फासले मिटाते हो, मैं दूर से ख्वाबों में आना चाहती हूं।
मैं खामोशियां पढ़ना चाहती हूं,तुम हर बात बोलते फिरते हो,
मेरी भावनाएं असीम है और तुम जज़्बात तौलते फिरते हो।
मुझे आंखों में देखना पसंद है ,तुम लबों की बात मानते हो,
मुझे ख्वाबों में रहना पसंद है,तुम केवल मुलाकात जानते हो,
तुममें धीरज का अंश मात्र नहीं, मैं इंतजार तुम्हारा करती हूं,
तुम रूप के कायल बनते हो , मैं रूह पर तुम्हारी मरती हूं।
~पल्लवी
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