...

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फुर्सत ही फुर्सत...
इन दिनों काफी फुर्सत में हूं
ना सर पर कोई इम्तिहान है ,
ना ही किसी परिणाम का इंतजार है।
खुद में खोई कभी खुश कभी गुमसुम सी हूं,
इन दिनों काफी फुर्सत में हूं।

घंटों यूं ही बैठकर खिड़की के बाहर देखती हूं खेतों को,नदी को
और पल पल गुजरता देखती हूं पल पल में सदी को।
मन को बहुत भाता है प्रकृति को निहारना,
दिल खुश कर जाता है उसे अपने हाथों से सवारना।

और क्या कर रही हूं आजकल???
पछता रही हूं कि अब भी तुम्हारा इंतजार कर रही हूं,
खुश हो रही हूं कि तुमने इतना वक्त तो दिया
तभी तो इन फुर्सत के पलों में तुम्हें याद कर लिया।

याद करने को वैसे तो बहुत कुछ है पर सवाल यह है
की फुर्सत में तुम कभी याद क्यों नहीं करते?
क्या तुम्हें...