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आजकल का प्यार
#WritcoPoemPrompt7
आजकल प्यार, मां के आंचल से घिसकर,लड़की के चुनरी के पीछे देखने को मिलती हैं,
यहां तो सब कृष्ण बने फिरते हैं, बस राम की कमी खलती है।
गजब की फिदरत हैं जमाने की, कृष्ण जी के नाम पर रास रचाते है,
जबकि वो इश्क़ नहीं,अपने अगले- पिछले जन्मों के वादों को निभाते है,
और आजकल लोग प्यार में मां बाप को भूल जाते है।
ये जो रास रचाते हैं,वो इश्क़ नहीं टाइमपास है,
एक के जाते ही, दूसरी बंदी के उसके पास है।
अरे कृष्ण को क्यूं बदनाम कर रहे हो,अपने कामों से,
अधूरी प्रेम ही सही, परंतु कृष्ण आज भी जाने जाते है राधा के नामों से।
जिधर देखो,इश्क़ के मजनू बीमार पड़े है,
मां बाप के लाठी बनने के बजाय,लाठी खाने के मार्ग में खड़े हैं
आजकल ये आम बात है,पुराना दौर नहीं है,अब इंसान समझदार हैं,
भरोसा मत करना किसी पर क्योंकि दुनिया में बस कुत्ता ही वफादार है।
© Durgesh kumar
आजकल प्यार, मां के आंचल से घिसकर,लड़की के चुनरी के पीछे देखने को मिलती हैं,
यहां तो सब कृष्ण बने फिरते हैं, बस राम की कमी खलती है।
गजब की फिदरत हैं जमाने की, कृष्ण जी के नाम पर रास रचाते है,
जबकि वो इश्क़ नहीं,अपने अगले- पिछले जन्मों के वादों को निभाते है,
और आजकल लोग प्यार में मां बाप को भूल जाते है।
ये जो रास रचाते हैं,वो इश्क़ नहीं टाइमपास है,
एक के जाते ही, दूसरी बंदी के उसके पास है।
अरे कृष्ण को क्यूं बदनाम कर रहे हो,अपने कामों से,
अधूरी प्रेम ही सही, परंतु कृष्ण आज भी जाने जाते है राधा के नामों से।
जिधर देखो,इश्क़ के मजनू बीमार पड़े है,
मां बाप के लाठी बनने के बजाय,लाठी खाने के मार्ग में खड़े हैं
आजकल ये आम बात है,पुराना दौर नहीं है,अब इंसान समझदार हैं,
भरोसा मत करना किसी पर क्योंकि दुनिया में बस कुत्ता ही वफादार है।
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