...

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“मेरा यार था दिलदारी में मारा गया”
एक हैवान सा जिस्म, घेरे हुए कब से,
मेरा यार था दिलदारी में मारा गया,

ये कौन था जिसे छूने से खौफ हुआ हमें,
वो कौन था जिसे दर्द के वक्त पुकारा गया,

है बिखरी मेरे जान की खुशबू शहर में,
मेरे बगीचों के फूलों से उसे सजाया गया,

ये अजीब था कि कहीं दिल ना लगा उसका,
ये इत्तफाक ही रहा जो हमें फसाया गया,

मदहोशी में कुछ ना हुआ, तो उसको याद किया गया,
जीनी थी उसे लंबी उम्र, सो जल्द हमे बुलाया गया,

जहां तक थे फासले, ना कुछ हुआ सब सही चला ,
जहां बढ़ी नजदीकियां, हमारे इश्क को दफनाया गया।
© kapil saini