...

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कहां था
बेसब्र सी इन राहों पर मुझे सब्र कहां था
हंसने पे टोकने वाले तू रोने पर कहां था

सुकून की चादर तसल्ली से ओढ़ना था
नीचे हैं कांटे पास मेरे बिछौना कहां था

मुसलसल मैं एक सफ़र पर चलता रहा
वो मंज़िल चाहत है उसका पता कहां था

हैं सबके अपने मसले अपनी तकलीफें
दुआ करूं खुदा से बता ख़ुदा कहां था;

© रद्दी_काग़ज़