कहां था
बेसब्र सी इन राहों पर मुझे सब्र कहां था
हंसने पे टोकने वाले तू रोने पर कहां था
सुकून की चादर तसल्ली से ओढ़ना था
नीचे...
हंसने पे टोकने वाले तू रोने पर कहां था
सुकून की चादर तसल्ली से ओढ़ना था
नीचे...