33 views
कहां था
बेसब्र सी इन राहों पर मुझे सब्र कहां था
हंसने पे टोकने वाले तू रोने पर कहां था
सुकून की चादर तसल्ली से ओढ़ना था
नीचे हैं कांटे पास मेरे बिछौना कहां था
मुसलसल मैं एक सफ़र पर चलता रहा
वो मंज़िल चाहत है उसका पता कहां था
हैं सबके अपने मसले अपनी तकलीफें
दुआ करूं खुदा से बता ख़ुदा कहां था;
© रद्दी_काग़ज़
हंसने पे टोकने वाले तू रोने पर कहां था
सुकून की चादर तसल्ली से ओढ़ना था
नीचे हैं कांटे पास मेरे बिछौना कहां था
मुसलसल मैं एक सफ़र पर चलता रहा
वो मंज़िल चाहत है उसका पता कहां था
हैं सबके अपने मसले अपनी तकलीफें
दुआ करूं खुदा से बता ख़ुदा कहां था;
© रद्दी_काग़ज़
Related Stories
44 Likes
6
Comments
44 Likes
6
Comments