...

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शायद तुम लौट आओगी कुछ पल बाद
कुछ बातें कह दी
कुछ रह गई बस ख्याल में
दिल को ये तमन्ना थी कि तू कुछ बोलेगी आज
मैं ठहरा था कुछ पल वहाँ पर
शायद तू लौट आयेगी कुछ पल बाद

तुम्हें हंसाने में खुद को क्या से क्या बना लिया
तुमने मुझको कुछ भी नहीं समझा
समझने के बाद
आंख न जाने क्यों भर आयी तुमसे
बिछड़ने के बाद

मैंने तेरी मुस्कुराहट में
वक्त ठहरते देखा है
तू रूकी नहीं दो कदम चलने के बाद
चाहा बहुत कि तुझे इतना न चाहूँ
पर दिल नही समझा इतना समझाने के बाद

अब ये अलम कि दिल को कही भी आराम नहीं
उसके मुस्कुराने के बाद
हर सुबह हर शाम उसका इंतज़ार करता हूँ
यूँ ही मारा मारा फिरता हूँ गलियों में
सब कुछ लूट कर ले गयी वो
एक झलक देखने के बाद

बारिश होने लगी लगी जैसा रब
खुश हो गये हमें देखने के बाद
जैसे तेरी जुल्फों में छांव मिलती है
दिल कहीं लगता नहीं लगने के बाद
शायद इकरार कर दोगी
मेरे इज़हार करने के बाद

शायद तुम लौट आओगी कुछ पल बाद
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