...

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पूर्ण सार हैं कृष्ण!!

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शुरू से अंत तक........
अंत से अनंत तक.........
अनंत से अनादि तक........
प्रेम से समर्पण तक..........
राग से अनुराग तक........
प्रेम से प्रीति तक........
स्वभाव से सम्भाव तक...........