...

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वो दिन..
वही तुम और वही मैं और वही सब मिलकर "हम" बनते है,
वही पुराना स्कूल, पुराने लोग, दोस्त ज्यादा और दुश्मन कम बनते है,
वही हमारा खेलना, पढ़ना और सीट के लिए लड़ना-झगड़ना होता है,
और वहीं सारे दोस्त ख़ुद ही घाव, तो कभी ख़ुद ही मरहम बनते है,
एक हसीन सफ़र ज़िंदगी का हम सब एक साथ बिताते है,
और लड़ते है पहले फिर दूर...