...

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झूठ और सच की कहानियाँ...!!!
झूठ ने बुन ली जब, मायावी सी एक कहानी,
सपनों की नगरी में, थी उसकी छाया मस्तानी।
रंग-बिरंगी बातों से, उसने दिलों को भरमाया,
अधरों पे हंसी लाई, पर दिल में दर्द समाया।।१।।

सच खड़ा था कोने में, निपट अकेला, शांत,
न उसमें था कोई शोर, न कोई दिखावटी कांत।
कदम-कदम पर ठोकरें, उसके साथ थी सदा,
पर चेहरे पर मुस्कान थी, आँखों में थी रौनक सदा।।२।।

झूठ...