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झूठे दोस्त - - - - - 1
दोस्तों में दोस्तों ने हमसे दोस्ती के नाम पर दगा दिया
यूं तो हम किसी से ज्यादा बोलते नहीं थे पर उसने अपने बड़बोलेपन का असर कुछ हममें भी छोड़ दिया
मैं भी उसकी तरह बनने लगी थी अपने अस्तित्व को छोड़ दुसरे अस्तित्व में बनने में मैंने अपना बचपन खो दिया
हर बार उसने सबके सामने शर्मिंदा किया हर बार हमने उसे माफ किया सिर्फ दोस्ती के लिए
दोस्तों में दोस्तों ने हमसे दोस्ती के नाम पर दगा दिया
वो लोगों के सामने मेरी खिल्ली उड़ती थी एहसास तो तब हुआ जब रोज रोज वो यही दोहराती थी
बार बार मैं ईश्वर को कोसती मेरे साथ ही ऐसा क्यों होता है, पर गलती तो मेरी थी मैने उसे ऐसा करने का मौका बार बार उसे दिया
मुझे ये संस्कार नहीं दिये गये कि मैं किसी का दिल दुखाउ
काश मैं अपने संस्कारों को छोड़ झूठी दुनियां से अपना वास्ता कर लेती तो मेरे दिल में इतने छेद न होते
काश मैं ऐसा कर दी होती तो मेरा बचपन न बिखारत
दोस्तों में दोस्तों ने हमसे दोस्ती के नाम पर दगा दिया