"घर की मुर्गी दाल बराबर"
कभी कभी जीवन में बहुत कुछ दूसरों की ख़ुशी के लिए भी करना पड़ता है
किसी को दुःख न पहुंचे इसलिए भी करना पड़ता है..
शायद वहां आपका सुख नहीं,
वह आपका पथ भी नहीं..
मगर फिर भी आपको चलना पड़ता है ...
बेफ़िज़ूल arguments और debate को नेवता देने का अर्थ नहीं...
क्योंकि समझदार को समझाने की दरकार नहीं..
और व्यर्थ नासमझ को समझाने का अर्थ नहीं..
बेहतर यही... नासमझों की महफ़िल में..
नासमझों की नासमझी में थोड़ी नासमझी तुम भी करलो..
दुनिया के इस तमाशे में कुछ तमाशा तुम भी कर लो..
यु भी तो नाटक है ये ज़िन्दगी..
कुछ नौटंकी तुम भी करलो..
जब धर्म-संकट हो और कोई उपाए नहीं...
ज़रूरी नहीं है सदैव आप वही करो जो आप मानो..
अपनी मान्यताओं के परे भी कुछ कार्य करने पड़ते है...
अड़े रहने से अच्छा है झुक जाओ..
जो हो रहा है..
जो बस में नहीं आपके उसमे घुल जाओ..
दुनिया झूठ है..झूठ ही चाहती है..
बुराई नहीं इसमें की तुम उसे झूठ दिखाओ..
सत्य महज़ तुम देखलो काफी है... हर व्यक्ति सच देखे व हर व्यक्ति को दिखाना ज़रूरी नहीं है
जिसके चक्षु खुलेंगे वह देख ही लेगा..
और जो देख सकता है देख ही लेगा..
स्वीकार की मिश्री से ही समस्या का समाधान घुलेगा...
सत्य को साबित करने में ऊर्जा वय करने का अर्थ नहीं..
और ज़रूरी भी नहीं ....
जब तक छोर न आ जाए बहते रहना ही एक उपाए है..
लड़ने का अर्थ नहीं.
-D💚L
#Life
#truth
and the #World
किसी को दुःख न पहुंचे इसलिए भी करना पड़ता है..
शायद वहां आपका सुख नहीं,
वह आपका पथ भी नहीं..
मगर फिर भी आपको चलना पड़ता है ...
बेफ़िज़ूल arguments और debate को नेवता देने का अर्थ नहीं...
क्योंकि समझदार को समझाने की दरकार नहीं..
और व्यर्थ नासमझ को समझाने का अर्थ नहीं..
बेहतर यही... नासमझों की महफ़िल में..
नासमझों की नासमझी में थोड़ी नासमझी तुम भी करलो..
दुनिया के इस तमाशे में कुछ तमाशा तुम भी कर लो..
यु भी तो नाटक है ये ज़िन्दगी..
कुछ नौटंकी तुम भी करलो..
जब धर्म-संकट हो और कोई उपाए नहीं...
ज़रूरी नहीं है सदैव आप वही करो जो आप मानो..
अपनी मान्यताओं के परे भी कुछ कार्य करने पड़ते है...
अड़े रहने से अच्छा है झुक जाओ..
जो हो रहा है..
जो बस में नहीं आपके उसमे घुल जाओ..
दुनिया झूठ है..झूठ ही चाहती है..
बुराई नहीं इसमें की तुम उसे झूठ दिखाओ..
सत्य महज़ तुम देखलो काफी है... हर व्यक्ति सच देखे व हर व्यक्ति को दिखाना ज़रूरी नहीं है
जिसके चक्षु खुलेंगे वह देख ही लेगा..
और जो देख सकता है देख ही लेगा..
स्वीकार की मिश्री से ही समस्या का समाधान घुलेगा...
सत्य को साबित करने में ऊर्जा वय करने का अर्थ नहीं..
और ज़रूरी भी नहीं ....
जब तक छोर न आ जाए बहते रहना ही एक उपाए है..
लड़ने का अर्थ नहीं.
-D💚L
#Life
#truth
and the #World