...

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सब बिखर गया है💜
सब बिखर गया है💜

तुम जो तट से भीग कर
चली आती थी अपनी हसीन उलझी जुल्फ़े लेकर
तो मैं अपनी नंगी उंगलियों को किसी दांतेदार कंघे
की तरह तुम्हारे बालों में उलझा देता था
और आहिस्ता-आहिस्ता तुम्हारी माँ की भूमिका में
आ जाता था तुम खींच कर निकल जाना चाहती थी
मगर बालों की खीचन की चुभन से गलती का एहसाह
होने पर तुम रो पड़ती थी
और मैं खिलखिला देता था
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