...

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गुनाहगार
हम भी तो गुनहगार है
अपनी अधूरी ख्वाहिशों के...
जन्म लेते ही
गला घोंट देते हैं
अपनी चाहतों का,
सोच ही नहीं पाते दूर तक
अचानक लिए जाने वाले
प्रखर फैसलों के बारे में
भूल जाते है अपनी क्षमताओं को

हम दोनों ही तो तलबगार है
अपनी दुश्वारियों के....
समय से पहले ही
छोड़ देते है
दामन हिम्मत का
कांप जाते है सामना करने से
भूल जाते है अपनी विजय पताकाओं को

हम दोनों ही तो जिम्मेवार हैं
अपनी दुर्दशाओं के...

© Jyoti Dhiman