...

15 views

जनहित की कविता - 1

रोज़ होये अत्याचार,
रोज़ होये बलात्कार !
व्यवस्थाएं तार तार,
सोई क्यूं रहे सरकार !!

हमार अन्नदात किसान,
सही दाम ही समाधान !
कर्ज वसूले बन हैवान,
उद्योग डूबात बिन व्यवधान !!

मजदूर सारे है परेशान,
रोज़ी बिन कैसे...