...

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तुम्हारा ख़याल
इन सर्द रातों में मैं जब भी तनहा बैठ कर तुम्हें सोचती हूँ
तुम्हारा ख़याल ज़हन में इक अजब तूफाँ लेकर आता है
तुम्हारी यादों का लम्बा सफ़र ये दिल पैदल ही तय कर आता है।
एक तारीक वादी में पहुँच जाता है दिल
जहाँ बिखरे पड़े हैं कई बे-रंग ख़्वाब
तुम्हारे झूठे वादे चीखते हैं मिरा नाम लेकर
और मैं डर...