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तन्हा रातों में
तन्हा रातों में,
मैंने खुदको अब् थाम लिया
कभी रो के हसलिया
तो कभी हसके रो दिया
अंधेरे की खामोशी में,
खुदको समेट लिया
कभी दर्द मैं चीख लिया
तो कभी खुदको शांत करदिया।
इन तन्हा रातों में
मैंने अब जीना सीख लिया।
© All Rights Reserved
मैंने खुदको अब् थाम लिया
कभी रो के हसलिया
तो कभी हसके रो दिया
अंधेरे की खामोशी में,
खुदको समेट लिया
कभी दर्द मैं चीख लिया
तो कभी खुदको शांत करदिया।
इन तन्हा रातों में
मैंने अब जीना सीख लिया।
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