बारिश
चल पडती है शीतल हवा अपना बोरिया-बिस्तर बाँधकर,
भा लेती है सबके मन को हर जगह ठंडक फैलाकर|
फिर बारी आती है काले बादलों की,
जो...
भा लेती है सबके मन को हर जगह ठंडक फैलाकर|
फिर बारी आती है काले बादलों की,
जो...