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खुद से एक मुलाक़ात...
कुछ पल तन्हाई में खुद से रूबरू हो जाऊँ।
बहुत समझा लिया सबको अब खुद में खो जाऊँ।
समझदार सब ही है क्यों न मैं नादान बन जाऊँ।
झूठी माया के मोह को त्याग कर खुद में ज़ी जाऊँ।
ख़ुशी को क्या चाहिए मैं ही अपनी ख़ुशी बन जाऊँ।
सुकून की तलाश में खुद से मुलाक़ात कर जाऊँ।
बात करने लगी तो लगा मैं अपना जवाब बन जाऊँ।
क्यों किसी के सवालों से खुद को इतना बेचैन पाऊं।
प्रभु! तेरे सहारे से ये जीवन को आज ज़ी जाऊँ।
तेरी वजह से मैं तेरे चरणों में ही सब खो जाऊँ।
© Niharik@ ki kalam se✍️
बहुत समझा लिया सबको अब खुद में खो जाऊँ।
समझदार सब ही है क्यों न मैं नादान बन जाऊँ।
झूठी माया के मोह को त्याग कर खुद में ज़ी जाऊँ।
ख़ुशी को क्या चाहिए मैं ही अपनी ख़ुशी बन जाऊँ।
सुकून की तलाश में खुद से मुलाक़ात कर जाऊँ।
बात करने लगी तो लगा मैं अपना जवाब बन जाऊँ।
क्यों किसी के सवालों से खुद को इतना बेचैन पाऊं।
प्रभु! तेरे सहारे से ये जीवन को आज ज़ी जाऊँ।
तेरी वजह से मैं तेरे चरणों में ही सब खो जाऊँ।
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