...

25 views

गरीब मजदूर
आज मैंने सड़कों पर भटकते एक ‌कंकाल तंत्र को देखा,
अरे वही, अमीरों के हाथ की यंत्र को देखा, हां,देश की सेवा को सड़कों पर स्वतंत्र देखा।

सड़कों पर उमड़ी भीड़ बता रही है,
गरीब मजदूरों को"सड़क छाप"होने की एहसास करा रही‌ है।

आज मैंने सड़कों पर बसी एक अलग संसार देखा,
गरीबों में मच रही हाहाकार देखा।

समय की मार झेल रहे गरीब मजदूर,
भूखे पेट सोने को मजबूर,
और सरकार कागजी प्रक्रिया में मशगूल।

देश के एक आवाज पर, इन मजदूरों ने जान लगा दी,
आज जब इस ने मदद की गुहार लगाई तो इसे घर की राह दिखा दी।

गरीब की झोपड़ी को देखा है हमने,
किस तरह उनके जरूरत को अनदेखा किया है सबने।

हमने कैमरा के आगे राशन बांटते देखा है,
वहीं इन मजदूरों को रेलों से कटते भी देखा है।
इन्ही आंखों से गरीब परिवार को भूखे तड़पते देखा है।
और सरकार की लाभकारी योजनाओं को कागजों में सिमटते भी देखा है।

यहां दिखता तो बहुत कुछ है परंतु देखता कौन है,
गंदगी तो बहुत है हमारे देश में, परंतु इसे फेकता कौन है।

मजदूरों की फिक्र किसे, अर्थव्यवस्था जो खड़ी करनी है,
गरीबों की भलाई कौन करेगा, सबको तो अपनी जेब भरनी है।