'अंजाम'
चूरकर बिखर जाएगा कभी न कभी धरती का सब गुमान
जब टूट कर गिर पड़ेगा ये काँच सा सुंदर आसमान
धुंआ ही धुंआ हर शहर होगा और होगा अंधकार में हर गाँव
युगों से चलती आई जो कभी तब मिलेगा लहरों को भी आराम
खिसक रही है धरती कबसे मत करो ये खनन का व्यापार
ख़ाक में सब...
जब टूट कर गिर पड़ेगा ये काँच सा सुंदर आसमान
धुंआ ही धुंआ हर शहर होगा और होगा अंधकार में हर गाँव
युगों से चलती आई जो कभी तब मिलेगा लहरों को भी आराम
खिसक रही है धरती कबसे मत करो ये खनन का व्यापार
ख़ाक में सब...