10 views
अंजाना सफ़र
कौन है साथी; कौन दग़ाबाज़ है, न किसी को किसी की पहचान यहाँ,
है अंजान ये राहें और अंजाना सफ़र भी, है हर कोई अनजान यहाँ !!
आँख मूँद कर यूँ ही न चल पड़ना तुम क़दम मिलाने किसी अजनबी के,
तुम क्या जानों दिल बहलाने वाले ही होते हैं, दो पल के मेहमान यहाँ !!
राहें आसाँ न चुनना, यूँ चुटकियों में मिलने वाली तरक्की की मिनारें
जब ढ़हती है ना,सूखे पत्ते से बिखर जाते हैं एक पल में अरमान यहाँ !!
ज़िंदगी सफ़र मुश्किलों भरा है, फूलों तक काँटों से होकर गुजरना होगा,
अंजान हो माना अगले पल से, पर न बनना जानबूझकर नादान यहाँ !!
मंज़िल की तलाश में चल तो दिए हो, अंजाने सफ़र पर बिना सोचे समझे
लौट आना.... बीच अपनों के जल्द ही, खाली पड़े बड़े -बड़े मक़ान यहाँ !!
© Mayuri Shah
@Mayuri1609 @Writco @AtulPurohit
Related Stories
24 Likes
13
Comments
24 Likes
13
Comments