अंजाना सफ़र
कौन है साथी; कौन दग़ाबाज़ है, न किसी को किसी की पहचान यहाँ,
है अंजान ये राहें और अंजाना सफ़र भी, है हर कोई अनजान यहाँ !!
आँख मूँद कर यूँ ही न चल पड़ना तुम क़दम मिलाने किसी अजनबी के,
तुम क्या जानों दिल बहलाने वाले ही होते हैं, दो पल के मेहमान यहाँ !!
राहें आसाँ न...