...

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अनजान शहर
इस अनजान शहर की बात निराली
छुपाती है बात कितनी ये सुंदर नारी
इसकी ढलती शाम में जादुई एहसास
जैसे कि किसी जादूगर का हो नया अंदाज़
खुशी और गम का पिटारा लिए
इस भागती दौड़ती जिंदगी में नई उमंग लिए
इसके शहर के शोर के पीछे सबको सुकून की तलाश
शांति को ढूंढते भीड़ में लोग हाज़र
न जाने कितने लोगों को पनाह दे जाता ये अनजान शहर
पर मलाल इस बात का की
सपनो में जी रहे
इस शहर के लोग हर बार
© Dark Rose