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पिता,पिता का महत्व आज तक किसी ने ना बतलाया
पिता,पिता का महत्व आज तक किसी ने ना बतलाया,
पिता ही है वह जिसने दुखों को समेटा, पर किसी को ना दिखलाया ।
बच्चों को सब खुशी दी, संसार को ही पूरा घर लाया,
चप्पल जो टूटी उसकी, उसको भी कभी ना बदल पाया।।
पिता, पिता का महत्व........................
वही एक व्यक्ति है,जिसमें बसी सारी हस्ती है,
उसने सिर्फ दो ही जोड़ी में अपना संपूर्ण जीवन है बिताया।
कितने का कर्ज लिया, कितना है ठोकर खाया,
बच्चों का जीवन ही बस निरंतर उसने बनाया।।
पिता, पिता का महत्व........................
पिता का महत्व उन लोगों से पूछो ऐ राहगीरों,
जिसने पिता के न रहने पर,घर का है पहली बार जिम्मा उठाया।
जिसने सबके रहने-खाने का,शादियों में इंतजाम है कराया,
आज आमदनी नहीं आई, तो बिना खाए ही सो गया।
अंदर ही अंदर बिना दिखाएं घुट-घुट कर रो गया,
कभी भी पिता ने अंदर की कष्टों को चेहरे पर न दिखलाया।।
पिता, पिता का महत्व........................
पिता वो है,जिसके रहते दुनिया पर राज है अपना,
वह ना रहे, तो जीवन में हर अगला कदम है सपना।।
वो ही है जिसने इतने सुंदर संसार से तुम्हारा रूबरू कराया,
कैसे आगे बढ़ेंगे निरंतर इसकी भी जुस्तजू कराया।।
पिता, पिता का महत्व........................
पिता वो है जो दुर्गमों में फूलों सा रास्ता है,
वो ही है जिसका अंत समय तक,मां बाद तुमसे वास्ता है।
वो ही जिसने तुम्हें इस काबिल है बनाया,
जब भी मुसीबतों में फंसे तुम,उसने ही तो है मार्ग सुझाया।।
पिता, पिता का महत्व........................
तुम्हारे ऊपर आने वाली मुसीबत के लिए वह हायना(लकड़बग्धा) है ,
तुम्हारे कुसंगतियों को परखने वाला आईना है।
तुमको आगे बढ़ता देखने के लिए,उसने अपनी इच्छाओं को है दबाया,
जब भी रोए हो तुम,उसने तुमको खिल-खिलाकर है हँसाया।
पिता, पिता का महत्व........................
इक दिन इत्मीनान से तुम उससे पूछना जरा,
कितना संघर्ष किया है उसने, जीवन को बनाने में यूं हरा भरा।
उसने न जाने कितने दुखों के सिंधु को अपने अंदर है छुपाया,
जब किसी ने उसे परेशान देखा, बस तभी उसने पीड़ाओं को है बताया ।।
पिता, पिता का महत्व........................
आज जो तुम यूँ अकड़ कर चल रहे हो,
कभी मत भूलना कि,उसी पिता के बलिदानों पर तुम पल रहे हो।
कभी भूलना नहीं कि उसने तुम्हें इतना ऊपर है उठाया,
जिसको सोचते हो वृद्धाश्रम ले जाने की, उसी ने तुम्हें उच्च पदों पर है बैठाया।।
पिता, पिता का महत्व........................
मत भूलना कभी,कि उसने तुमको बनाने में क्या-क्या खपाया है,
समय, जीवन, इच्छाएं और आधा पेट ही खाया है।
कभी जीवन भर ना तुम पर इसका एहसान जताया,
बस इसलिए,इसलिए वह व्यक्ति पिता कहलाया।
पिता, पिता का महत्व........................

© प्रांजल यादव