ज़िंदगी
सफ़र बाक़ी है अभी ज़िंदगी का।
फिर तारीफ़ क्या करें खुशी का।
किसी सूरत पे क़रार आता नहीं!
क्या करूं दिल की बेकरारी का।
तुम्हारी इतनी बेरूखी से पहले!
मैं कायल था...
फिर तारीफ़ क्या करें खुशी का।
किसी सूरत पे क़रार आता नहीं!
क्या करूं दिल की बेकरारी का।
तुम्हारी इतनी बेरूखी से पहले!
मैं कायल था...