~कभी खामोशी भी पढ़ लिया करो..
दिल की अनछुई टहनियों पर भी चढ़ लिया करो।
ए दोस्त, कभी खामोशी भी पढ़ लिया करो।।
शिद्दत की चाहत में, अल्फ़ाज़ ढूंढने वाले,
दिल में बसे हो, दिल की आवाज ढूंढने वाले,
बंद कर आंखो को, चांद तारे गढ़ लिया करो।
ए दोस्त, कभी खामोशी भी पढ़ लिया करो।।
सब कुछ बयां नहीं होता, जज्बात या हालात हों,
सब कुछ कह नहीं सकते, साथ या मुलाकात हो,
कभी धड़कनों की सदाएं भी सुन लिया...