...

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aapki aapni life ka liye agr kisi ko or shayari chiye to mare watsapp no hai
बस यूं ही :---

नामुमकिन कुछ भी नही था
पर,
कुछ आसान भी नही था।

भँवर की तरह
उलझते गये रिश़्तें,
ठीक उसी तरह
जैसे धागे उलझते हैं।

लहरों के तारों में
पड़ती गई गाँठ,
जो बह रहे थे कभी
एक साथ रिश़्तों की तरह।

बहुत कठिन था
शब़्दों को जोड़ना,
व्याकरण थे अपने-आप में उलझे।

दिशाहारा थी मस्तिष्क की
चेतनायें,
विवेकशुन्य थी हृदय की संवेदनाएँ।


उतना आसान नही होता
अपनों से लड़ना,
नेत्रहीन हो जाती हैं भावनाएँ
जब अथाह ठेस देते हैं रिश़्ते।

इस सारे इतिहास में
बस इतना समझ पाई
कि अगर रिश़्तें निभाने हैं तो
अंधे, बहरे और गूंगें बन जाओ
रिश़्तें निभ जाएगें।

ये जिदंगी है
ऐसे ही उमर कटती है
भँवर में जीकर
भँवर में ही मरकर।
🙏🙏🙏 pandit 🙏🙏🙏