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happy woman's day (फिक्र का जिक्र)
कभी-कभी मैं
बहुत फिक्र करता हूं
तुम्हारी!
फिर मैं रुक कर
जांच करता हूं अपने फिक्र की-
कि
कहीं फिक्र के शक्ल में
मैं तुम्हें दबाना तो नहीं चाहता!
मैं पितृसत्ता वाले समाज में
बड़ा हुआ हूं-
इसलिए खुद को हमेशा
शक के घेरे में रखता हूं!
अपने उस राक्षस को साध रखता हूं,
जो तुम्हें बांध मेरी औरत बना देना चाहता है!
तुम्हारी आजादी पर मेरा
कोई हक ना हो-
मेरे फिक्र की हरदम
इसलिए जांच हो
कुछ भी हूं तुम्हारा
आखिर
तुम्हारे स्वयं से ज्यादा नहीं हूं मैं!!
thank you @saurabh (heart teaching ❤❤❤)
© Anishtha priya Agarwal
बहुत फिक्र करता हूं
तुम्हारी!
फिर मैं रुक कर
जांच करता हूं अपने फिक्र की-
कि
कहीं फिक्र के शक्ल में
मैं तुम्हें दबाना तो नहीं चाहता!
मैं पितृसत्ता वाले समाज में
बड़ा हुआ हूं-
इसलिए खुद को हमेशा
शक के घेरे में रखता हूं!
अपने उस राक्षस को साध रखता हूं,
जो तुम्हें बांध मेरी औरत बना देना चाहता है!
तुम्हारी आजादी पर मेरा
कोई हक ना हो-
मेरे फिक्र की हरदम
इसलिए जांच हो
कुछ भी हूं तुम्हारा
आखिर
तुम्हारे स्वयं से ज्यादा नहीं हूं मैं!!
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