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थोड़ा थोड़ा रोना होगा....
थोड़ा थोड़ा रोना होगा
रात हुई है सोना होगा

अम्बर को ही ओढ़ेंगे हम
धरती का बिछौना होगा

खाने को तो मिल जाएगा
टुकड़ा आधा पौना होगा

जिसका जितना कद बड़ा है
उतना ही वो बौना होगा

नीम का तिनका पहन कान में
किस्मत में ना सोना होगा

जिसपर जितना मैल जमा है
अपना अपना धोना होगा

नेताओं के बहकावे में
कोई जादू टोना होगा

उसके जैसा कोई दिखा है
उसकी याद में खोना होगा

प्रेम न सोच समझकर करना
सोच लिया फिर तो ना होगा

उसकी रजा में राजी हो ले
"शिल्प" जो सोचे वो ना होगा

संजय नायक"शिल्प"
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