उद्देश्य।
चाहत महलों की है तुम दिल में अपने खंडर लिए बैठे हो,
आगे एक रोशन भविष्य है मन में गुजरे मंजर लिए बैठे हो।
चलो बढ़ते रहें हम भी एक उड़ते परिंदे सा बहुत दूर तक,
लोग चोट खाकर उठ गए, तुम मन में पत्थर लिए बैठे हो।
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आगे एक रोशन भविष्य है मन में गुजरे मंजर लिए बैठे हो।
चलो बढ़ते रहें हम भी एक उड़ते परिंदे सा बहुत दूर तक,
लोग चोट खाकर उठ गए, तुम मन में पत्थर लिए बैठे हो।
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