...

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पहली मुलाक़ात
स्मरण है मुझे हर वो लम्हा,जो तेरे संग व्यतीत किया था
अपने होंठो से तेरे होठों पे,अपना प्रथम चुम्बन किया था

झुकी-झुकी थीं पलकें तुम्हारी,गालों का रंग लाल हुआ था
सिहर गई थी तू मेरी बाहों,जब पहली बार हमनें छुआ था

माथे पे बिन्दी,होठों पे लाली,क्या खुबसूरत लिबास था
अंग अंग महक रहा था ऐसे,जैसे इत्र का श्रृंगार किया था

हैरान कर देने वाली अदाओं का कशिश पे कहर किया था
लुट कर कशिश को खुद से,खुद का कितना दीवाना किया था

कितना सुखद था वो अहसास जिसे मेरे दिल ने क़ैद किया था
पहली मुलाक़ात हमारी आख़िरी होगी,कहां किसे मालूम था?