ग़ज़ल
आज की पेशकश ~
अब कहाँ रह गये वो लोग पुराने वाले।
सीख लो तुम भी नए ढंग ज़माने वाले।
ख़ुद ही भटके हुए लगते हैं ये रहबर सारे,
किसको मिलते हैं सही राह दिखाने वाले।
किसी से रूठने से क़ब्ल ज़रा सोच भी लो,
अब गये दौर वो रूठों को मनाने वाले।
उनको फुर्सत कहाँ मिल बैठकर दो बात करें,
फेसबुक, इंस्टा पर अब वक़्त बिताने वाले।
कौन गिरते हुओं को आज संभाले यारब,
हाँ बहुत लोग हैं उठते को गिराने वाले।
© इन्दु
अब कहाँ रह गये वो लोग पुराने वाले।
सीख लो तुम भी नए ढंग ज़माने वाले।
ख़ुद ही भटके हुए लगते हैं ये रहबर सारे,
किसको मिलते हैं सही राह दिखाने वाले।
किसी से रूठने से क़ब्ल ज़रा सोच भी लो,
अब गये दौर वो रूठों को मनाने वाले।
उनको फुर्सत कहाँ मिल बैठकर दो बात करें,
फेसबुक, इंस्टा पर अब वक़्त बिताने वाले।
कौन गिरते हुओं को आज संभाले यारब,
हाँ बहुत लोग हैं उठते को गिराने वाले।
© इन्दु