अलावा उसके अब कोई नहीं
तुझे कौन कहेगा कैसे तुझ बिन मेरी शाम गुज़रनी है,
उस रोज़ ख़ुदा से ही मुझको इक...
उस रोज़ ख़ुदा से ही मुझको इक...