...

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तुम ही तुम
सांसों की तार सरगम गाती तुम ही तुम,
रोम रोम की सिहरन कहती तुम ही तुम,
धड़कन की धक धक बोलती तुम ही तुम,
कदमों की आहट शोर करती तुम ही तुम,
सुबह-शाम सिंदूरी रंग भजती तुम ही तुम,
कागज क़लम के प्यार लिखती तुम ही तुम,
मर्ज ए दिल की दवा‌ पुकारती तुम ही तुम,
मेरा मुझमें कुछ न रहा सनम तेरे नाम के
एहसास मदहोश जज्बात करती तुम ही तुम





© Sunita barnwal