...

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तूँ और तेरी चाहत…
तू और तेरी चाहत का एहसास,
बन गया यह सब कुछ मेरे जीने के आस…
मत रोको इसे ना तुम टोको इसे,
आने दो इसेमेरी साँसों के पास…
तू और तेरी चाहत का एहसास,
बन गया यह सब कुछ मेरे जीने के आस…

आईने के जैसी मुझे मोहब्बत सच्ची मिली,
मेरे खुदा की क़सम मुझे तुम अच्छी मिली…
आओ ना मिलों कभी दिल खोल कर तुम,
बैठो ना मेरे पास कभी ए. जी बोलकर तुम…
बस आदतें तुम्हारी मेरे दिल के पास…
तू और तेरी चाहत का एहसास,
बन गया यह सब कुछ मेरे जीने के आस…

झूम रहा है यह पागल दिल यह मेरा,
माँगता था खुदा से एक यह प्यार तेरा…
झुकता है सिर मेरा तेरी चाहत में सनम,
आ रहा हूँ तुझे मिलने मुझे तेरी है क़सम…
कुछ ना कहो अब बाक़ी बची हमारी आस…
तू और तेरी चाहत का एहसास,
बन गया यह सब कुछ मेरे जीने के आस…

अब क़रीब आ गई वो घड़ी हमारे मिलने की,
क़ीमत बढ़ जाएगी मोहब्बत के फूल खिलने की…
तेरे दीदार की चाहत अब पूरी होने को है,
ख़ुशनसीब हैं हम ख़ुशियों से झोली भरने को है…
“जिंद” खड़ा है बाँहें फैलाकर
तुमसे मिलने की है प्यास…
तू और तेरी चाहत का एहसास,
बन गया यह सब कुछ मेरे जीने के आस…

#जलते_अक्षर

© ਜਲਦੇ_ਅੱਖਰ✍🏻