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वक़्त
वक़्त निकलता जाता है
दिल क्या चाहता है
कभी नहीं बताता
बस इक अहसास
दिल को टटोलता जाता है
बस इक अधूरापन
बेचैन कर जाता है
हम सोचते रह जाते हैं
वक़्त निकलता जाता है
कभी ढूँढते रह जाते हैं
खुशी को अपनी
कभी बहते रह जाते हैं
वक़्त के दरिया में
पर वक़्त तो बहती धारा है
धारा बहती जाती है
हम सोचते रह जाते हैं
वक़्त निकलता जाता है
वक़्त को रोक सकें
बड़ी शिद्दत से चाहते हैं
पर रेत फिसलती जाती है
कभी सोचते हैं
मुट्ठी बंद कर लें
और किस्मत बदल जाए
हम सोचते रह जाते हैं
वक़्त निकलता जाता है
अपने वश में नहीं
नदी की धारा
अपने वश में नहीं
हाथ की लकीरें
बस हर कोशिश बेवजह
हो जाती है
हम सोचते रह जाते हैं
वक़्त निकलता जाता है
कभी सोचती हूँ
वक़्त को रोक लूँ
धारा को मोड़ दूँ
लकीरों को बदल दूँ
फिर इक लहर आती है
और सोच बिखर सी जाती है
हम सोचते रह जाते हैं
वक़्त निकलता जाता है
दिल क्या चाहता है
कभी नहीं बताता
बस इक अहसास
दिल को टटोलता जाता है
बस इक अधूरापन
बेचैन कर जाता है
हम सोचते रह जाते हैं
वक़्त निकलता जाता है
कभी ढूँढते रह जाते हैं
खुशी को अपनी
कभी बहते रह जाते हैं
वक़्त के दरिया में
पर वक़्त तो बहती धारा है
धारा बहती जाती है
हम सोचते रह जाते हैं
वक़्त निकलता जाता है
वक़्त को रोक सकें
बड़ी शिद्दत से चाहते हैं
पर रेत फिसलती जाती है
कभी सोचते हैं
मुट्ठी बंद कर लें
और किस्मत बदल जाए
हम सोचते रह जाते हैं
वक़्त निकलता जाता है
अपने वश में नहीं
नदी की धारा
अपने वश में नहीं
हाथ की लकीरें
बस हर कोशिश बेवजह
हो जाती है
हम सोचते रह जाते हैं
वक़्त निकलता जाता है
कभी सोचती हूँ
वक़्त को रोक लूँ
धारा को मोड़ दूँ
लकीरों को बदल दूँ
फिर इक लहर आती है
और सोच बिखर सी जाती है
हम सोचते रह जाते हैं
वक़्त निकलता जाता है
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