...

7 views

वक़्त
वक़्त निकलता जाता है
दिल क्या चाहता है
कभी नहीं बताता
बस इक अहसास
दिल को टटोलता जाता है
बस इक अधूरापन
बेचैन कर जाता है
हम सोचते रह जाते हैं
वक़्त निकलता जाता है
कभी ढूँढते रह जाते हैं
खुशी को अपनी
कभी बहते रह जाते हैं
वक़्त के दरिया में
पर वक़्त तो बहती धारा है
धारा बहती जाती है
हम सोचते रह जाते हैं
वक़्त निकलता जाता है
वक़्त को रोक सकें
बड़ी शिद्दत से चाहते हैं
पर रेत फिसलती जाती है
कभी सोचते हैं
मुट्ठी बंद कर लें
और किस्मत बदल जाए
हम सोचते रह जाते हैं
वक़्त निकलता जाता है
अपने वश में नहीं
नदी की धारा
अपने वश में नहीं
हाथ की लकीरें
बस हर कोशिश बेवजह
हो जाती है
हम सोचते रह जाते हैं
वक़्त निकलता जाता है
कभी सोचती हूँ
वक़्त को रोक लूँ
धारा को मोड़ दूँ
लकीरों को बदल दूँ
फिर इक लहर आती है
और सोच बिखर सी जाती है
हम सोचते रह जाते हैं
वक़्त निकलता जाता है