...

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एक कोशिश
कोशिश कर रही हूं मुस्कुराने की
महफिलों में तहज़ीब से पेश आने की

कोई देखे न ले मेरे आंखों की नमी को
इसलिए कोशिश भी नहीं करती
ज्यादा देर कहीं ठहर जाने की..

रूठती तो कभी किसी से मैं हूं ही नही..
क्योंकि मुझे पता है कोई
कोशिश भी नहीं करेगा मुझे मनाने की..

इल्म हो गया है अब कि..
दर्द ए तन्हाइयों से पुराना
तालुक्ख है मेरा..
हर शाम काटी है मैंने इनके ही साथ
बड़ी शिद्दत से कोशिश की है
दर्द ए तन्हाइयों ने "खुशी" को अपना बनाने की..

शिवानी सूर्यवंशी (खुशी)