...

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परिभाषा
प्रेम क्या है?
किससे है?
क्यों है?
कैसे है?
कबसे है?
कितना है?
आखिर क्या है ये प्रेम, जिसपर
इतने सवाल हैं
मगर क्या एक भी जवाब है,
तो देखो उसकी सागर जैसी आंखों में झलकता है क्या वो प्रेम है?
नहीं ये आकृषण है ।
वो जो मेरे दर्द में रोया
ये दिल की नरमी है।
वो जो मेरी तरफ बढ़ते तूफान से लड़ता रहा,
ये दया है।
वो जो मेरे बिना जी नहीं सकता,
ये जुनून है।
जो सही या ग़लत मेरा है,
ये सनक है।
वो जो कहे कि वो हर वक्त मेरे लिए है ,
ये ममता है।
कि वो जो बस मेरा ही नाम लेता है,
वो भक्ति है।
कि उसके सवाल मिट जाते हैं मुझ पर आकर,
वो भरोसा है।
जिसे नहीं चाहिए कुछ भी मुझसे,
वो समर्पण है।
किस अहसास को प्रेम कहूं?
नहीं पता
हर अहसास का नाम प्रेम है।
पर प्रेम क्या है, नहीं पता।