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मे खुदा, गुलाम तेरा
मे खुदा, गुलाम तेरा,
बादशाहों की जुल्म से तबाह हुऐ कई मन्दिर तेरे
ऐसा शिकंजा चढा, जो मजहब के जुनून का
मेरे अपनो के हाथ, खुन से रंगते दिखे
तेरे आंसू ओर अनकहे लफ्ज़ से बोझिल हुं, आज मे
भरोसे की दिल को छलनी होते कई बार, देखे तेरे
जुवां पे ताले दिऐ, कई दिखे, लेते फेरे
तुझ से जो भी जुडना चाहा,
तो किसी मे राम की तदवीर दिखी, तो किसी मे वुद्ध की
जहां को सुकुन देता, अनोखा तेरा मुझसे ईबादत है
अमन के बिना जैसे जन्नत बैमाना है
तेरे बिना ये जहां का गुलदस्ता, बैमाना है
घमसान जिन्दगी मे भी अमन पसन्द है तु
बस अब तुझसे ही बुलन्द है अरमान मेरे
बोल तो दे, तेरी रजा क्या है, क्युं न बनु मे गुलाम तेरा

© Birendra Debta