...

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समय
जब मैं छोटा था
मैं रोता था और
तुम मुझ़पर हसते थे ।

जब मैं थोडा बडा हो गया
खेल कुद में गिरता सँवरता
तो तुम वहाँ पे मौजूद
हसदियां करतें थें ।

और बडा हो गया जब
तनहाईं ओ में बैठा
अकेले मुझे देखकर
हँसी आती थी तुम्हें ।

शादी के समय और
शादी के बाद भी
जब बच्चों से परेशान था
तुमने अपने हँसना नहीं छोडा ।

वक्त के चलते मेरी
बढती उम्र के साथ
हमेंशा मेरे साथ रहें
तुम हसतें हसतें ।

जब आखरी वक्त आया
तो मुझसे रहा नही गया
मैं ने पुछ ही लिया आखिरकार
हो कौन भाई तुम ।

मेरे पैदा होने से
मेरी आखरी साँस तक
साथ जो मेरा किया
आखरी साँस तक ।

जवाब में उसने
मुस्कुरातें हुए कहाँ
अब तक पेहचाना नहीं मुझे
मैं समय हूँ इसलिए साथ हूँ ।।

मैं ही तो " समय " हूँ
समझ़े.........
© Subodh Digambar Joshi