...

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लिख लेती हूं..
वो आइना, हर बार मुझे कई चेहरे दिखता था
पर गलती उसकी नहीं थी,
मैंने ही तो हर बार,खुद को दूसरों की नज़रों
में देखा, हर बार हर मोड पर मैंने खुद को
बदला था..

अंधेरे से डर भले ही लगता था,पर सुकून से
मेरी मुलाक़ात भी तो वही होती थी।
बेशक,दोष उजालों का नहीं था,
बस उजालों में रहने की हिम्मत नहीं थी।

लफ़्ज़ों से...